21 Jul 2015

अधिक लोक सम्पर्क

अधिक लोक सम्पर्क 
जब लोग माया बंधन की अनेक बात करते है तो साधक के मन में सांसारिक चीज़ो के प्रति
 आकर्षण पेदा होने लगता है। यह आकर्षण उसे योग विद्या से हटाकर पथभ्रष्ट कर देता है। 
योग विद्या सृष्टि के बंधन से मुक्त करती है अर्थात यह बार बार जन्म मरण को रोककर आत्मा के आवागमन, को रोककर उसे परमात्मा से मिलाती है ,उसको परमात्मा का सम्पर्क दिलाती है,उसका सानिध्य दिलाती है। दूसरे लोक सम्पर्क आत्मा को जन्म जन्मांतर का गमन कराता है। लोगो से मिलकर उनसे
 अच्छी बुरी बात करके,उनके बारे में अच्छा बुरा सोचकर,उनके प्रति ईर्ष्या,द्वेष आदि से ग्रसित हो 
कर्म करते हुए,मनुष्य उन कर्मो के संस्कार स्वरूप बार बार जन्म लेता है और बार बार मरता है।
 और अनंत कल तक इसी चक्र में  बंधा रहता है। 

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