22 Jul 2015

हठयोग के साधक तत्व

हठयोग के साधक तत्व 
जैसे हठयोग के बाधक तत्व है वैसे ही इसके साधक तत्व भी है। वे तत्व जो हठयोग कि साधना में योगी की सहायता करते है,हठयोग की सिद्धि में सहयक होते है। साधक तत्व कहलाते है 
हठयोगप्रदीपिका में साधक तत्व का विवरण दिया गया है 
उत्साहात सहसाद्देर्यातत्त्वज्ञानच्च निश्चयात् । 
जनसंगपरित्यागात षड्भिर्योगः प्रसिद्धियति ।।
उत्साह,सहस,धैर्य ,यथार्थ ज्ञान,संकल्प तथा लोक संग का परित्याग 
ये छः तत्व योग की सिद्धि में सहायक है 
व्याख्या  
 उत्साह :  अर्थात योगाभ्यास को बड़ी उमंग ख़ुशी,पूर्ण ऊर्जा के साथ पूरी शक्ति के साथ 
                                      करना चाहिए। इस प्रकार करने से योग में सिद्धि जल्दी मिलती है। 
       साहस :  अर्थात विपरीत परिस्थितिया होने पर भी योग का अभ्यास न छोड़ना।
  उसे निरन्तर करते रहना।  
                धैर्य :  अर्थात  चाहे साधक को कुछ अनुभूति हो या न हो। लग रहा हो की कुछ भी 
                       परिवर्तन नहीं हो रहे है ,तो भी साधक को योग में आस्था रखते हुए धीरे धीरे 
                          अभ्यास जारी रखना चाहिए।उसे छोड़ना नहीं चाहिए।
यथार्थ ज्ञान :  संसार की वास्तविकता को समझना की ये संसार क्षणभंगुर है। 
                                         एक दिन ये सब कुछ नष्ट हो जाना है सब कुछ माया का ही विस्तार है. 
इस प्रकार के भाव रखते हुए योगाभ्यास करना। 
                          संकल्प :लगातार अपनी ऊर्जा को इस प्रकार का मनन चिंतन करते हुए,की यह योग विद्या  ही मुझे भाव सागर से पार लगा सकती, अभ्यास में लगाये रखना। 
लाक संग का परित्याग :  पहले ही अधिक लोक संग बाधक तत्व में कहा गया है।
लोक संग का परित्याग करने पर यह योग का साधक तत्व बन जाता है।                                                                          
                                                                                                          

                                                                                            
   
                                                                                        

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