बस्ति क्रिया
गुदा के शोधन की क्रिया को वस्ति क्रिया कहते है। आधुनिक एनिमा ही ऋषियों की प्राचीन वस्ति क्रिया है।
घेरण्ड सहिता में शुष्क वस्ति व जल वस्ति का वर्णन है।
जल वस्ति : जल में उत्कट आसन में बैठकर गुदा का बार बार सिकोड़ना और फैलाना ही जल वस्ति है
शुष्क वस्ति : पश्चिमोत्तान्त आसान में धीरे धीरे निचे की और बस्ती का चलन करते हुए अश्वनी मुद्रा में गुदा को बार बार सिकोड़ना फैलाना ही शुष्क बस्ती है।
हठयोग प्रदीपिका में जल बस्ती का ही वर्णन है
"नभिद्ध्नजले पायुनयस्तनालोतकटासनः
आधाराकुञ्चनम् कुर्यात् क्षलानं बस्ति कर्म तत "
नाभिपर्यन्त जल में बैठकर गुदा में एक रबर की नली डालकर गुदा का बार बार संकुचन करते हुए पानी को उप्र की तरफ खीचते है। गुदा को नोली क्रिया से या अग्निसार से धोते है और पानी को बाहर निकल देते है।
घेरण्ड सहिता में शुष्क वस्ति व जल वस्ति का वर्णन है।
जल वस्ति : जल में उत्कट आसन में बैठकर गुदा का बार बार सिकोड़ना और फैलाना ही जल वस्ति है
शुष्क वस्ति : पश्चिमोत्तान्त आसान में धीरे धीरे निचे की और बस्ती का चलन करते हुए अश्वनी मुद्रा में गुदा को बार बार सिकोड़ना फैलाना ही शुष्क बस्ती है।
हठयोग प्रदीपिका में जल बस्ती का ही वर्णन है
"नभिद्ध्नजले पायुनयस्तनालोतकटासनः
आधाराकुञ्चनम् कुर्यात् क्षलानं बस्ति कर्म तत "
नाभिपर्यन्त जल में बैठकर गुदा में एक रबर की नली डालकर गुदा का बार बार संकुचन करते हुए पानी को उप्र की तरफ खीचते है। गुदा को नोली क्रिया से या अग्निसार से धोते है और पानी को बाहर निकल देते है।
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