धोती क्रिया में सावधानियाँ
- धोती क्रिया को हमेशा खली पेट करना चाहिए। अर्थात उदर में नहीं होना चाहिए। जल भी वमन का कारण बनता है। अगर जल पिया हुआ हो तो उसे भी कुंजल क्रिया द्वारा बाहर निकाल दे।
- धौति क्रिया को गुरु के निर्देशन में ही करे।
- क्रिया प्रारम्भ करने से पहले एक घुट जल पे ले।
- बहुत धीरे धीरे अभ्यास करे। प्रतिदिन एक हाथ धोती को ही निगलने का अभ्यास करे।
- अधिक समय तक धोती को उदर के अंदर न रखे ,अधिक देर अंदर रहने से यह पक्वाशय की तरफ जाकर उसमे घाव पैदा कर देती है।
- दस मिनट के अंदर क्रिया को पूरी कर लेना चाहिए। अर्थात दस मिनट के अंदर धोती को निकल देना चाहिए
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