धौति क्रिया के फल(लाभ)
धोती क्रिया असंख्य रोगो में बड़ी ही लाभदायक है। स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक जटिल समस्याओ का समाधान धोतिक्रिया से हो जाता है।
हठयोगप्रदीपिका में कहा गया है
कासश्वासपलिहकुष्टं कफरोगाश्च विंशतिः।
धोतिक्रमप्रभावेन प्रयांतयेव न संशयः।।
धोती क्रिया से खांसी,दमा,तिल्ली,कुष्ट,तथा बीस प्रकार के कफ दूर होते है।
धोती क्रिया बार बार जुकाम होना,गले का पकना ,टांसिल ,पेट में गैस का बनना,एसिडिटी का बनना ,
थाइरॉयड की समस्या,गले की एलर्जी ,श्वास सम्बन्धी समस्या आदि को दूर करती है।
घेरण्ड सहिता में कही गयी धोती क्रियाओ से भी अनेक फायदे है।
वातसार से जठर अग्नि उतपन्न होती है जो भूख को बढाती है।शिव सहिंता में कहा गया है कि इसका अभ्यास करने से योगी को दूरस्थ श्रवण व दूरस्थ वस्तु दर्शन की शक्ति प्राप्त हो जाती है
वारिसार से देह निर्मल होती है जिससे देव शरीर की प्राप्ति होती है। अर्थात प्रकृत सांसारिक मलसमन्वित शरीर विशुद्ध होकर देव शरीर के समान हो जाता है।
अग्निसार से योग की सिद्धि होती है। जठर अग्नि प्रदीप्त होती है।
दन्तधौती,जिह्वाशोधनधोति,कर्णधोती,कपालरंध्रधोती से क्रमशः दन्त,जिह्वा,कान,कपालरंध्र
के सभी रोग दूर होते है।
वमन धोती से कफ व पित्त दोष दूर होता है तथा मूलशोधन से अपच,अजीर्ण,कब्ज जैसे बीमारिया दूर होतीं है
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