नेति क्रिया के फल
हठयोगप्रदीपिका में कहा गया है
कपालशोधनी चैव दिव्यदृष्टिप्रदायिनी।
जत्रुधर्वजातरोगोधं नेतिरशू निहन्ति।।
यह क्रिया मस्तिष्क को शुद्ध करती है दिव्य दृष्टि प्रदान करती है। स्कन्द प्रदेश से उपर होने वाले रोग समूहों को शीघ्र नष्ट करती है।
घेरण्ड सहिंता में नेति क्रिया से खेचरी मुद्रा की सिद्धि कही गयी है। कहा गया है की इससे कफ दोषो का निवारण होता है व दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।
ग्राहयामल में नेति क्रिया से शिरोरोग आदि नष्ट होते है दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है श्वास प्रश्वास के समय नासाछिद्रो के निर्मल होने से साधक को अतीव आनन्द प्राप्त होता है
विष्लेषण: यह क्रिया अत्यन्त ही वैज्ञानिक है इसके अंतर्गत दोनों नासारंध्रों का शोधन करते है यह गले व गले से ऊपर के हिस्से के विभिन्न अंगो को लाभ पहुचती है। यह नाक,कान,आँख,मस्तिष्क,सर के लिए समान व विशेष लाभकारी है। लगभग सभी प्रकार के कफ को नेति क्रिया दूर करती है। नाक की हड्डी बढ़ना आजकल सामान्य बीमारी है। बार बार जुकाम लगना,नाक से कफ बहना,नाक में खुजली होना,सुघने की क्षमता न होना,आदि नाक संबंधी अनेक बीमारियो का निदान नेति क्रिया द्वारा होता है। आँखों में खुजली होना,आँखे लाल होना ,आँखों से पानी बहना आदि एवं मस्तिस्क की बीमारिया जैसे सर में दर्द होना, माग्रेने का दर्द आदि सभी बीमारियो में नेति क्रिया लाभदायक है
विष्लेषण: यह क्रिया अत्यन्त ही वैज्ञानिक है इसके अंतर्गत दोनों नासारंध्रों का शोधन करते है यह गले व गले से ऊपर के हिस्से के विभिन्न अंगो को लाभ पहुचती है। यह नाक,कान,आँख,मस्तिष्क,सर के लिए समान व विशेष लाभकारी है। लगभग सभी प्रकार के कफ को नेति क्रिया दूर करती है। नाक की हड्डी बढ़ना आजकल सामान्य बीमारी है। बार बार जुकाम लगना,नाक से कफ बहना,नाक में खुजली होना,सुघने की क्षमता न होना,आदि नाक संबंधी अनेक बीमारियो का निदान नेति क्रिया द्वारा होता है। आँखों में खुजली होना,आँखे लाल होना ,आँखों से पानी बहना आदि एवं मस्तिस्क की बीमारिया जैसे सर में दर्द होना, माग्रेने का दर्द आदि सभी बीमारियो में नेति क्रिया लाभदायक है
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