7 Sept 2015

शवासन

शवासन 
अब हम पीठ के बल लेटकर करने वाले आसनो का वर्णन करेंगे। इनमे सर्वप्रथम शवासन का वर्णन करेंगे। 
शवासन :
ऐसा एक मात्र आसन शवासन है जो कभी भी, कही भी, किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। शवासन का दूसरा नाम योगनिद्रा है। इसमें ऐसा कोई comlication भी नहीं है। जिससे की किसी विशेष बीमारी में इसे न किया जा सके। योगनिद्रा किसी भी आयु वर्ग के द्वारा किया जा सकता है। अगर गहनता से अध्ययन करे तो योगनिद्रा एक ध्यान ही है। इसमें ध्यान स्वयं पर, खुद के शरीर पर लगते है। 
विधि :
पीठ के बल सीधा लेटकर पैरो के बीच एक से डेढ़ फुट की दूरी रखते है। हाथो को कमर की बराबर में रखकर हथेलियों को आसमान की तरफ आधी खुली आधी बंद रखते है। शरीर को ढीला छोड़ते है अर्थात दबाव रहित करते है शरीर के किसी भी हिस्से में दबाव नहीं रखते है। यहाँ तक शवासन की एक comman प्रक्रिया है। 
इससे आगे की प्रक्रिया असंख्य प्रकार से की जा सकती है।
 जैसे: श्वांस पर ध्यान लगते हुए अपने शरीर के प्रत्येक हिस्से को दबाव रहित करते हुए शरीर के प्रत्येक अंग को बंद आँखों से देखना। 
या अपने चारो तरफ की उन सब आवाजो से ध्यान हटाकर उन सूक्ष्म आवाजो पर ध्यान लगाना,उन सूक्ष्म आवाजो को सुनना जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में प्रति क्षण हो रही है।बार बार उन्ही आवाजो पर ध्यान लगाना और शरीर को ढीला रखना।
या  अपने आस पास आने वाली गंध से ध्यान हटकर दिव्य गंध को महसूस करना। अर्थात अपने सुघने की क्षमता का विस्तार करते हुए उन गंध को महसूस करना। और बार बार ,लगातार,निरंतर उन्ही दिव्य गन्धो को सुघने का प्रयास करना।
या अपने सब विचारो को छोड़ते हुए शरीर को तनाव रहिर करते हुए अपना सम्पूर्ण ध्यान आज्ञाचक्र पर लगाना। सब विचारो से हटकर अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा को आज्ञा चक्र पर केंद्रित करना।
या शरीर को ढीला छोड़कर सब दबावों को शरीर से निकालकर अपनी आँखों को बंद करके आंतरिक ज्ञान द्वारा अन्तः चक्षुओ से दूर की वस्तुओ को देखने का प्रयास करना,अभ्यास करना। यह अभ्यास बिना किसी दबाव के करते है ,अनायास ही करते है।
इस तरह अनेक  प्रकार से योगनिद्रा का अभ्यास किया जा सकता है।
लाभ :   
योगनिद्रा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका किसी भी साधक को किसी अवस्था में ,किसी भी रोग में,कोई नुकसान नहीं है। यह आसन खाली पेट भी किया जा सकता है और खाना खाने के बाद भी किया जा सकता है।
योगनिद्रा शरीर के प्रत्येक अंग प्रत्यंग को ,सूक्ष्म व स्थूल नाड़ियो को,मांसपेशियों व हड्डियों,तंत्रिका तंत्र व मानसिक तंत्र को, रक्तपरिसंचरण तंत्र व श्वसन तंत्र को,धमनियों व कोशिका तंत्र को व अन्य सभी तंत्रो को विशेष लाभ पहुचता है। यह वात्त पित्त,कफ तीनो दोषो को सम करता है।
विस्तार से कहने पर यह पैरो मे, हाथो में, पुरे शरीर में, प्राण वायु व शुद्ध रक्त का संचरण करता है पैरो की मांसपेशियों के दर्द को दूर करता है। घुटनो को हल्का करता है। पेट में बढ़े हुए वायु दोष को सम करता है,दूर करता है। कमर के दर्द को हाथो के,कंधो के दर्द को दूर करता है।ह्रदय को बहुत लाभ देता है।
शवासन सर्वप्रथम मन को,दिमाग को,मस्तिष्क को उद्वेगों से शान्त करता है।उन्हें अधिक सक्रिय करता है। और उस सक्रियता से शरीर के सभी अंगो के विकारो को दूर करता है।
यह आसन लगभग सभी मानसिक विकारो को भी दूर करता है जैसे : सरदर्द ,माइग्रेन,depression ,anxiety आदि
शरीर में अगर भारीपन हो तो योगनिद्रा से वह दूर हो जायेगा।अगर किसी भी कार्य में मन नहीं लग रहा है तो योगनिद्रा से कार्य में मन लगने लगेगा।
बहुत बैचैनी हो रही हो तो योगनिद्रा से चित्त शांत हो जायेगा।
योगनिद्रा के कुछ विशेष लाभ भी है जिनको अनेक प्रयोगो से प्राप्त किया गया है
जैसे :योगनिद्रा के द्वारा गर्भधारण न होने की समस्या का निदान हो जाता है।अगर किसी को स्लिप डिस्क की प्रॉब्लम हो योगनिद्रा से उसे अतिशीध्र लाभ होगा।
कही पर अगर कोई अंग कट जाये या जल जाये या कही दर्द हो तो योगनिद्रा से वह अतिशीध्र कम हो जायेगा। मै मानता हु की योगनिद्रा के सभी लाभो का वर्णन करना शायद सम्भव ही नहीं है क्योकि यह अपने आप में एक बहुत बड़े अनुसन्धान का विषय है।
अगर पांच आसन ऐसे कहे जाये जो प्रतिदिन व्यक्ति को फिट रहने के लिए करने चाहिए तो उनमे सर्वप्रथम योगनिद्रा का स्थान होना चाहिए।
अगर एक ऐसे आसन कहा जाये जो की व्यक्ति को करना चाहिए तो वह शवासन ही होगा।शवासन का १५ मिनट का अभ्यास सर्वाधिक लाभ देने वाला है।
सावधानियाँ :
बहुत तेज धुप में अभ्यास न करे।
जहाँ पर योगाभ्यास करे वहाँ पर मच्छर व मक्खी न हो।
बहुत अधिक खाना खाए हुए भी न हो,वरना स्थिर रहने में दिक्क़त होगी।
हमेशा प्रयास करे की व्यक्ति का सिर उत्तर दिशा में व् पैर दक्षिण दिशा में हो।
आसन की अवस्था में कोई शारीरिक क्रिया या हलचल न करे ,बिलकुल शांत रहे जैसे शव पड़ा होता है।
शव में कोई मानसिक क्रिया भी नहीं होती है अतः फालतू के विचारो से हटकर अपने उद्देश्य पर ध्यान लगाये।

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