त्रिकोणासन
त्रि कोण आसन अर्थात शरीर को तीन कोनो में व्यवस्थित करना है। शरीर को तीन कोनो से मोड़ते है। जमीन से पैरो का कोण,पैरो से कमर का कोण व् कमर से हाथो का कोण.इस प्रकार शरीर को रखना ही त्रिकोणासन है। इस आसन में पैर जमीन से 45 डीग्री पर ,कमर पैर से ९० डीग्री पर और हाथ कमर से ९० डीग्री पर रखते है।
विधि :
सर्वप्रथम सावधान मुद्रा में खड़े होते है। और फिर बाये पैर को करीब दो से तीन फीट की दुरी पर आगे बढ़ाकर दाये पैर के पंजे के लंबवत रखते है,बाये हाथ से बाए पैर के पंजे को छूते है और दाये हाथ को पूरक करते हुए उपर आसमान की तरफ करते है,और गर्दन को ऊपर की तरफ घुमाकर आँखों से बाए हाथ की उंगलियो को देखते है। यथासंभव कुम्भक करते है और फिर रेचन करते हुए वापस आते है। इसी प्रकार दूसरे पैर से भी करते है। दोनों ओर से करने पर आसन का एक चक्र पूरा होता है।
लाभ :
यह आसन शरीर की अनेक मांसपेशियों को लाभ पहुचता है। शरीर के अलग अलग हिस्सों में यह पैरो की पिंडलियों,घुटनो,जंघाओं की सभी मांसपेशियों को पुष्ट करता है तथा उनके विकारो को दूर करता है। नितम्ब की हड़िया लचीली होती है तथा अतिरिक्त चर्बी दूर हो जाती है। कमर मजबूत होती है,रीढ़ की हड्डी लचीली होती है जठर अग्नि प्रदीप्त होती है जिससे पाचन क्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अग्नाशय,लिवर अपना कार्य ठीक ढंग से करते है जिससे पीलिया,शुगर जैसी बीमारियां नहीं होती। पेट की अतिरिक्त चर्बी दूर हो जाती है जिससे बेडौल शरीर आकर्षक आकार में आ जाता है। ह्रदय के लिए भी यह आसन लाभदायक है क्योकि यह रक्त संचरण में लाभ पहुचता है साथ ही यह गर्दन सम्बन्धी समस्याओ का भी निदान करता है तथा थाइरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करता है जो मानसिक उद्देगो को दूर करती है
तथा स्नायु तंत्र को विकसित करती है
आध्यात्मिक विश्लेषण में पाया गया की यह आसन मणिपुर चक्र,अनाहत चक्र तथा विशुद्धि चक्र को प्रभावित करता है जिससे शरीर में अग्नि की मात्र बढ़ती है जिससे किसी भी कार्य को करने में घबराहट,चिंता आदि नहीं होती है।व्यक्ति एक आत्मविश्वास के साथ कार्यो को करता है। भूख,प्यास पर नियंत्रण हो जाता है व्यक्ति ईश्वर के प्रति अधिक समर्पित हो जाता है ,जीवो के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है और विपरीत परिस्थितिओ में भी सम रहने लगता है।
सावधानियाँ :
खाली पेट ही आसन करे।
पूरक,कुम्भक,रेचन का ध्यान रखे।
कमर ,गर्दन पर अतिरिक्त दबाव बनाये।
कमर में ,गर्दन में दर्द,सायटिका आदि की समस्या हो तो यह आसन न करे।
No comments:
Post a Comment