5 Oct 2015

कुक्कुटासन kukkutasan (Asan)

कुक्कुटासन 
हठयोग प्रदीपिका व घेरण्ड सहिंता दोनों में ही कुक्कुटासन का वर्णन है।कुक्कुटासन अर्थात मुर्गे की आकृति में आसन। इसमें शरीर को जैसे मुर्गा होता है उस आकार में रखते है।
विधिः
हठयोगप्रदीपिका में कहा गया है
"पद्मासनं तू संस्थाप्य जानूर्वोरन्तरे करौ ।
निवेश्य भूमौ संस्थाप्यं व्योमस्थम् कुक्कुटासनम।।"
पद्मासन लगाकर घुटनो व जंघाओं के बीच (जहाँ पर हाथ को डालकर निचे भूमि पर निकालने की जगह हो )
हाथो को डालकर हथेलियाँ जमीन पर रखकर शरीर को आकाश में स्थिर रखने से कुक्कुटासन होता है।
घेरण्ड सहिंता में कहा है की
"पद्मासन समासाद्य जनूर्वोरन्तरे करौ।
कूर्पराभ्यां समासीनो मतचस्थः कुक्कुटासन।।"
पद्मासन की अवस्था में अवस्थित होकर दोनों घुटनो व जंघाओं के मध्य से हाथो को निकालकर उन्ही हाथो के सहारे जमीं पर स्थिर होकर दोनों कोहनियो पर मच सदृश आसीन होना ही कुक्कुटासन कहलाता है।
लाभ :
इस आसन के लाभ का वर्णन भी हठयोगप्रदीपिका व घेरण्ड सहिंता में नहीं किया गया है।
परन्तु अनुभव के आधार पर पाया गया है की इस आसन से हाथो सम्बन्धी लगभग समस्त रोगो का नाश हो जाता है। यह आसन पैरो की नसों व मांसपेशियों के दर्द दूर करता है।गुर्दो को लाभ देता है। धातु सम्बन्धी रोग
व मूत्र सम्बन्धी रोग दूर हो जाते है। छाती चौड़ी होती है व फेफड़े खीचते है जिससे वह अधिक क्रियाशील हो
जाते है। पेट के सभी विकार जैसे कब्ज,अपच जैसे समस्याएं दूर हो जाती है। शुगर जैसा रोग नहीं होता है। सम्पूर्ण पेट की मांसपेशियाँ व आँते मजबूत होती है और अतिरिक्त चर्बी दूर होती है।
 नितम्बो की चर्बी दूर होती है।
सावधानियाँ : 
खाली पेट ही अभ्यास करे।
हाथो सम्बन्धी समस्या हो तो आसन न करे।
कंधो सम्बन्धी समस्या हो तो आसन न करे।
हर्निया की समस्या हो तो आसन न करे।
गुर्दे में पथरी हो तो आसन न करे।
पेट का आपरेशन हुआ हो तो आसन न करे।







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