पतंजलि योग प्रदीप में आसन
योगप्रदीप के साधनापाद के ४६ वे आसन की व्याख्या की गयी है। उन्होंने आसान के सम्बन्ध में कहा है "स्थिरसुखम आसनम "
अर्थात स्थिर बैठना एवं सुख से बैठना ही आसन है। शरीर की जिस स्थिति में भी व्यक्ति लम्बे समय तक बिना हिले डुले बैठ सकता है। और लम्बे समय तक सुख पूर्वक निश्चलता के साथ बैठना ही आसान है।
यहाँ पर महर्षि पतंजलि का आसान से आशय है। जिसमे सुखपूर्वक वह ध्यान में लम्बे समय तक सरलता से बैठ सके। आसनें का विस्तृत वर्णन हठयोग के भाग में किया गया है. अतः आसनों का अध्ययन हम वहीँ पर करेंगे।
No comments:
Post a Comment