20 Jul 2015

अधिक श्रम करना

अधिक श्रम करना 
हठयोगी के लिए अधिक श्रम भी बाधक तत्व है। हठयोगी को शारीरिक ,मानसिक,प्रत्येक प्रकार के श्रम से बचना चाहिए। क्योकि जब भी साधक अधिक शारीरिक या मानसिक श्रम करेगा तो उसे अधिक थकावट होगी और शरीर में दर्द भी होगा जिस कारण वह योग का अभ्यास ही नहीं कर पायेगा। तथा उसका मन भी नहीं लग पायेगा, जो हठयोगी के लिए बड़ा ही घातक है ,बार बार  ऐसी अवस्था से उसके मन में योग के प्रति अश्रद्धा  तथा अनेक भ्रान्तिया उत्पन होने लगती है। वह सोचने लगता है की योग की सब अवस्थाये झूट
 ही कही गयी है है। उसका मन जो सवभाव से ही चंचल है ,उसे अधिक चंचलता के साथ योग
 से विमुख कर भोग की तरफ ले जाता है। 
अधिक देर तक शर्म करने में  साधक का समय भी अधिक भी लगता है ,जिस करण वह योग का पूर्ण अभ्यास भी नहीं कर पाता। योग का पूर्ण अभ्यास  न कर पाने के कारण साधक को योग का भी पूर्ण मानसिक  व् आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल पाता। 



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