29 Dec 2015

थायराइड मरीज के लिए डाइट चार्ट

                        Divya Yog Arogya Dham
                       (Towards Spiritual 
                     with healthy body)
           
                   
 
                                                    Yoga Acharya:  Manoj Kumar
                                                                     (MSc in Science of Yoga and Human
                                                                     Consciousness)
                                                                     Gurukul Kaangdi Vishwavidyalay
                                                                     Haridwar
                                                                     Blog: Dailyyoga4health.blogspot.in
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थायराइड मरीज के लिए डाइट चार्ट


थायराइड बहुत ही आवश्‍यक ग्रंथि है। यह ग्रंथि गले के अगले-निचले हिस्‍से में होती है। थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। क्‍योंकि इसका लक्षण एक साथ नही दिखता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो आदमी की मौत हो सकती है। यह ग्रंथि होती तो बहुत छोटी है लेकिन, हमारे शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में इसका बहुत योगदान होता है।
थायरायड ग्रंथि के कार्य :-
थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है |
थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में :-
बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है |
यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है |
शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है |
शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में सहायता करती है |
थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं:-
अल्प स्राव [ HYPO THYRODISM ]
थायरायड ग्रंथि से थाईराक्सिन कम बन ने की अवस्था को हायपोथायराडिज्म कहते हैं, इस से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं :-
शारीरिक व् मानसिक वृद्धि मंद हो जाती है |
बच्चों में इसकी कमी से CRETINISM नामक रोग हो जाता है |
१२ से १४ वर्ष के बच्चे की शारीरिक वृद्धि ४ से ६ वर्ष के बच्चे जितनी ही रह जाती है |
ह्रदय स्पंदन एवं श्वास की गति मंद हो जाती है |
हड्डियों की वृद्धि रुक जाती है और वे झुकने लगती हैं |
मेटाबालिज्म की क्रिया मंद हो जाती हैं |
शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सुजन भी आ जाती है |
सोचने व बोलने की क्रिया मंद पड़ जाती है |
त्वचा रुखी हो जाती है तथा त्वचा के नीचे अधिक मात्रा में वसा एकत्र हो जाने के कारण आँख की पलकों में सुजन आ जाती है |
शरीर का ताप कम हो जाता है, बल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन की स्थिति आ जाती है |
थायरायड ग्रंथि का अतिस्राव:-
अक्सर प्रसव के बाद महिलाओं में दर्दरहित थाईरोडिटिस पाया जाता है। अत्यधिक आयोडिन कई औषधियों में पाया जाता है जिससे किसी-किसी में थायराइड या तो बहुत अधिक या फिर बहुत कम हार्मोन बनाने लगता है।

हाइपरएक्टिव थायराइड एक ऐसी बीमारी है जिसमें दर्द हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है थाइराड में ही रखे गए हार्मोन निर्मुक्त हो जाए जिससे कुछ सप्ताह या महीनों के लिए हाइपरथारोडिज़्म की बीमारी हो जाए। 

हाइपरएक्टिव थायराइड होने पर चिड़ापन और अधैर्यता, मांस-पेशियों में कमजोरी या कंपकपीं, मासिक-धर्म अक्सर न होना या बहुत कम होना, वजन घटना, नींद ठीक से न आना, थायराइड का बढ़ जाना,
आंख की समस्या या आंख में जलन होना, ज्‍यादा गर्मी लगना जैसे लक्षण दिखाई देते है।
इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है | इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं:-
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शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है |
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ह्रदय की धड़कन व् श्वास की गति बढ़ जाती है |
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अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |
शरीर का वजन कम होने लगता है |
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कई लोगों की हाँथ-पैर की उँगलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है |
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गर्मी सहन करने की क्षमता कम हो जाती है |
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मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है |
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घेंघा रोग उत्पन्न हो जाता है |
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शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है |
पैराथायरायड ग्रंथियों के असंतुलन से उत्पन्न होने वाले रोग:-
जैसा कि बताया है कि पैराथायरायड ग्रंथियां पैराथार्मोन हार्मोन स्रवित करती हैं | यह हार्मोन रक्त और हड्डियों में कैल्शियम व् फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखता है | इस हार्मोन की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं, जोड़ों के रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं |
पैराथार्मोन की अधिकता से रक्त में, हड्डियों का कैल्शियम तेजी से मिलने लगता है,फलस्वरूप हड्डियाँ अपना आकार खोने लगती हैं तथा रक्त में अधिक कैल्शियम पहुँचने से गुर्दे की पथरी भी होनी प्रारंभ हो जाती है |

थाइराइड एक प्रकार की इंडोक्राइन ग्रंथि है, जो कुछ हार्मोन के स्राव के लिए जिम्‍मेदार होती है। यदि थाइराइड ग्रंथि अच्‍छे से काम करना बंद कर दे तो शरीर में कई समस्‍यायें शुरू हो जाती हैं। शरीर से हार्मोन का स्राव प्रभावित हो जाता है। लेकिन यदि थायराइड ग्रंथि कम या अधिक सक्रिय हो तब भी शरीर को प्रभावित करती है। 

लाइफस्‍टाइल और खान-पान में अनियमितता बरतने के कारण थायराइड की समस्‍या होती है। अगर शुरूआत में ही खान-पान का ध्‍यान रखा जाए तो थायराइड की समस्‍या होने की संभावना कम होती है। थायराइड के मरीजों का डाइट चार्ट कैसा हो, हम आपको उसकी जानकारी देते हैं।
थायराइड रोगियों के लिए डाइट चार्ट
आहार चिकित्सा
सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,दही,नारियल का पानी,मौसमी फल, ताज़ी  हरी साग सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें |

अपनी डाइट चार्ट में ऐसे खाद्य-पदार्थों को शामिल कीजिए जिसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा हो। क्‍योंकि आयोडीन की मात्रा थायराइड फंक्‍शन को प्रभावित करती है।
समुद्री जीवों में सबसे ज्‍यादा आयोडीन पाया जाता है। समुद्री शैवाल, समुद्र की सब्जियों और मछलियों में आयोडीन की भरपूर मात्रा होती है।
पनीर और हरी मिर्च तथा टमाटर थायराइड गंथि के लिए फायदेमंद हैं।
विटामिन और मिनरल्‍स युक्‍त आहार खाने से थायराइड फंक्‍शन में वृद्धि होती है।(high thyroid )
प्‍याज,लहसुन, मशरूम में ज्‍यादा मात्रा में विटामिन पाया जाता है।(high thyroid wale avoid kre )
कम वसायुक्‍त आइसक्रीम और दही का भी सेवन थायराइड के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
गाय का दूध भी थायराइड के मरीजों को पीना चाहिए।
नारियल का तेल भी थायराइड फंक्‍शन में वृद्धि करता है। नारियल तेल का प्रयोग सब्‍जी बनाते वक्‍त भी किया जा सकता है।(high thyroid me aviod)
थायराइड के रोगी इन खाद्य-पदार्थों को न खायें
परहेज :
मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस, अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें | अगर आप सफ़ेद नमक (समुन्द्री नमक) खाते है तो उसे तुरन्त बंद कर दे और सैंधा नमक ही खाने में प्रयोग करे, सिर्फ़ और सिर्फ सैंधा नमक ही खाए सब जगह |
सोया और उससे बने खाद्य-पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
जंक और फास्‍ट फूड भी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करते हैं। इसलिए फास्‍ट फूड को अपनी आदत मत बनाइए।
ब्राक्‍कोली, गोभी जैसे खाद्य-पदार्थ थायराइड फंक्‍शन को कमजोर करते हैं।
थायराइड थायराइड के मरीजों को डाइट चार्ट का पालन करना चाहिए, साथ ही नियमित रूप से योगा और एक्‍सरसाइज भी जरूरी है। नियमित व्‍यायाम करने से भी थायराइड फंक्‍शन में वृद्धि होती है। थायराइड की समस्‍या बढ़ रही हो तो चिकित्‍सक से संपर्क अवश्‍य कीजिए।
थायरायड की प्राकृतिक चिकित्सा 
थायरायड  के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर पीए रोजाना....एक दम ठीक हो जाएगा (बस धनिया देसी हो उसकी सुगन्ध अच्छी हो)
थायराइड के रोग और योग चिकित्सा :-
उष्ट्रासन :-
घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
शशकासन :-वज्रासन में बैठकर सामने झुककर 10-15 बार श्वास -प्रश्वास करें।

मत्स्यासन :-
वज्रासन या पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
सर्वांगासन :-
पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को काँधों पर रोकें। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
भुजंगासन : -
पीठ के बल लेटकर हथेलियाँ कंधों के नीचे जमाकर नाभि तक उठाकर 10- 15 श्वास-प्रश्वास करें।
धनुरासन : -
पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़कर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।
शवासन :-
पीठ के बल लेटकर, शरीर ढीला छोड़कर 10-15 श्वास-प्रश्वास लंबी-गहरी श्वास लेकर छोड़ें तथा 30 साधारण श्वास करें और आँखें बंद रखें।
नाड़ीशोधन प्राणायाम :-
कमर-गर्दन सीधी रखकर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लेकर दूसरे स्वर से निकालें, फिर उसी स्वर से श्वास लेकर दूसरी नाक से छोड़ें। 10 बार यह प्रक्रिया करें।
ध्यान :-
आँखें बंद कर मन को सामान्य श्वास-प्रश्वास पर ध्यान करते हुए मन में श्वास भीतर आने पर 'सो' और श्वास बाहर निकालते समय 'हम' का विचार 5 से 10 मिनट करें।

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