हस्त मुद्रा(अपान वायु मुद्रा )
विधिः
वास्तव में यह मुद्रा पहले कही गयी दो मुद्राओं वायु मुद्रा और अपान मुद्रा का योग है। अर्थात इस मुद्रा में वायु मुद्रा व अपान मुद्रा दोनों एक साथ की जाती है।
इस मुद्रा में वायु तत्व वाली तर्जनी उंगली के पहले पोर को अग्नि तत्व वाले अगुठे की जड़ में लगाते है और मध्यमा व अनामिका उंगली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से लगाते है। कनिष्का उंगली को सीधा रखते है।
लाभ: इस मुद्रा से वायु और अपान मुद्रा से होने वाले सभी लाभ त प्राप्त होते है। इसके साथ ही यह मुद्रा कुछ अन्य रोगो में भी विशेष लाभ देती है। मुख्यतः तो यह मुद्रा ह्रदय रोगो में अतिशीघ्र लाभ देती है इसी कारण इसे ह्रदय मुद्रा भी कहते है। ह्रदय रोग में यह मुद्रा एक से दो मिनट के अंदर ही आराम कर देती है। अगर कभी किसी को हार्ट अटैक हुआ हो और डॉक्टर के आने में कुछ देरी हो तो रोगी को बचाने में यह मुद्रा राम बाण साबित होती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है की ह्रदय के सभी रोगो जैसे-ह्रदय में दर्द होना,घबराहट होना,धड़कन का कम या तेज होना,उच्च व निम्न रक्त चाप होना,कैलेस्ट्राल का बढ़ना आदि में इस मुद्रा से लाभ होता है।वायु रोगो में भी यह मुद्रा लाभ देती है। शरीर के अनेक प्रकार के दर्द जैसे कंधो का दर्द,घुटनो का दर्द,आधे सिर का दर्द,सिर दर्द,गर्दन दर्द,पेट में गैस बनना,एसिडिटी,बवाशीर भगंदर ठीक हो जाते है। कान का दर्द,आँखों का दर्द व आँखों का फड़कना भी इस मुद्रा के अभ्यास से बंद हो जाता है।
विधिः
वास्तव में यह मुद्रा पहले कही गयी दो मुद्राओं वायु मुद्रा और अपान मुद्रा का योग है। अर्थात इस मुद्रा में वायु मुद्रा व अपान मुद्रा दोनों एक साथ की जाती है।
इस मुद्रा में वायु तत्व वाली तर्जनी उंगली के पहले पोर को अग्नि तत्व वाले अगुठे की जड़ में लगाते है और मध्यमा व अनामिका उंगली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से लगाते है। कनिष्का उंगली को सीधा रखते है।
लाभ: इस मुद्रा से वायु और अपान मुद्रा से होने वाले सभी लाभ त प्राप्त होते है। इसके साथ ही यह मुद्रा कुछ अन्य रोगो में भी विशेष लाभ देती है। मुख्यतः तो यह मुद्रा ह्रदय रोगो में अतिशीघ्र लाभ देती है इसी कारण इसे ह्रदय मुद्रा भी कहते है। ह्रदय रोग में यह मुद्रा एक से दो मिनट के अंदर ही आराम कर देती है। अगर कभी किसी को हार्ट अटैक हुआ हो और डॉक्टर के आने में कुछ देरी हो तो रोगी को बचाने में यह मुद्रा राम बाण साबित होती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है की ह्रदय के सभी रोगो जैसे-ह्रदय में दर्द होना,घबराहट होना,धड़कन का कम या तेज होना,उच्च व निम्न रक्त चाप होना,कैलेस्ट्राल का बढ़ना आदि में इस मुद्रा से लाभ होता है।वायु रोगो में भी यह मुद्रा लाभ देती है। शरीर के अनेक प्रकार के दर्द जैसे कंधो का दर्द,घुटनो का दर्द,आधे सिर का दर्द,सिर दर्द,गर्दन दर्द,पेट में गैस बनना,एसिडिटी,बवाशीर भगंदर ठीक हो जाते है। कान का दर्द,आँखों का दर्द व आँखों का फड़कना भी इस मुद्रा के अभ्यास से बंद हो जाता है।
अपान वायु मुद्रा |
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